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(३५) ॥ दूध दहीं ते पीजियें, वलि पीजियें साकर खां ॥ मे ॥ घृत पीधे तन ननसे, तमाक् परि बांग ॥ मे ॥ ॥ ४ ॥ मोहोटा साथे बोलतां, मन मां आवे लाज ॥ मे ॥ दिन पण एलें नीगमे, वि
साडे निज काज ॥ मे ॥ कं० ॥ ५॥ होठ लि हाला सारिखा, श्वास गंधाये जेण ॥ मे० ।। दांत ते दीसे श्यामला, हैयहुंदके तेण ॥ मे ॥ ८ ॥ ॥ ६ ॥ एन पियारी आचरे, विटलावे निज जात ॥ मे ॥ व्यसनी वायो नवि रहे, न गणे जात पर जात ॥ में ॥ कं० ॥ ७ ॥ एके फूंकें जेटला, वा युकाय हणाय ॥ मे० ॥ खस खस सम काया करे, तो जंबु दीप न माय ॥ मे ॥ कं० ॥७॥ गुडाकू करी जे पीये; ते नर मूढ गमार ॥ मे ॥ जल नाखे जे जिहां कने, माखीनो संहार । मे ॥ ॥ कं० ॥ ए॥ चोमासाना कुंथुआ, ते किम शुरु ज थाय ॥ मे० ॥ तमाकू पीतां थकां. पापें पिंकन राय ॥मे॥०॥१०॥ तलव तमाकू वापस्यां, परोणा ने नाग ॥ मे ॥ आगे करता लापसी, पबीतीकरूं ने
आग ॥ मे ॥ कं०॥११॥ पाणी एकने बिंयें, जीव कह्या जिनराय ॥ मे० ॥ वडबीज सम काया करे, जंबुद्धीप न माय ॥ मे० ॥ कं० ॥१२॥ अनि एक ने खोडले, जीव कह्या जिनराय ॥ मे० ॥ सरशव सम काया करे, तो जंबूदीप न. माय ॥ मे० ॥ ॥०॥१३॥ y• संमूर्डिम ऊपजे, नर पचेंशिय जीव