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यि प्रायथन ब
हमे बडो प्रसन्नता है कि धार्मिक शिक्षण के लिए कॉन्फेन्म की ओर से तैयार की गई जैन पाठावली के तृतीय भाग की यह तृतीयावृत्ति श्री तिलोक रत्न स्था जैन धार्मिक परीक्षा वोर्ड, पाथर्डी द्वारा प्रकाशित की जा रही है । पाठ्य-पुस्तक के रूप में । जन समाज ने पाठावली का जो मूल्याकन किया है वह इस तृतीयावृत्ति से प्रमाणित हो जाता है। हमारे लिए यह हर्ष का विषय है।
वालको को जैन संस्कृति और जैन तत्त्वज्ञान का सरलता से वोध कराने के लिए ऐसे सर्वम न्य पाठयक्रम की मांग कॉन्फरेन्स से होती रहती थी। फलस्वरूप यह पाठावली श्री धार्मिक शिक्षण समिति द्वारा श्री सतवालजो से तैयार कराई गई है।
जैनशाला, छात्रालय और स्कूलों में क्रमश शिक्षण दिया जा सके और उत्तरोत्तर वालक धार्मिक ज्ञान प्राप्त कर सके इस तरह इस पाठावली के ७ भाग किये गये हैं।
हम आशा करते हैं कि जहाँ २ अभी तक इस पाठावली को अपने पाठ्यक्रम में स्थान नहीं दिया गया है वहाँ २ सर्भ स्कूल, पाठशाला और छात्रालय यथा गीघ्र इसे अपना लेगे और बालको के कोमल हृदय पर जैन सस्कृति की गहरी छाप डालने म सहायक बनेगे।
मानद्-मन्त्री श्री अ. भा.. न्या. जैन कोन्फ्रेन्स