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पल्योपम-समय का एक सुदीर्घ परिमाण । पाक्षिक श्रावक-एकदेशीय हिंसादि से विरत गृहस्थ । पाखण्ड-मूढ़ता-असत्य धर्म के विज्ञापन में गृद्धता । पाठ-शास्त्र-पठन ; शास्त्र-उल्लेख ; शास्त्र-व्याख्यान । पाठक-उपाध्याय का दूसरा नाम ; देखें-उपाध्याय । पात्र-सम्यक्त्व-गुण से परिपूर्ण व्यक्ति या साधु विशेष । पाद-छह अंगुल बराबर का माप ; वर्गमूल का अपर नाम 3;
गति ; पद्य का एक विभाग । पाप-अशुभ कर्म-पुद्गल ; कुकर्म । पापश्रमण-श्रमण-मर्यादाओ का अतिक्रमण करने वाला साधु । पारमार्थिक-आत्म-सापेक्ष-दृष्टि ; प्रत्यक्ष ज्ञान विशेष । पारिणामिक-जीव के स्वाभाविक गुण । पार्श्वस्थ-शिथिलाचारी साधु ; आचार एवं विचार में
अपरिपक्कता। पासत्था-देखें-पावस्थ । पाहुड-उपहार, भेंट ; जैन ग्रन्थ के अंश विशेष । पिच्छी-पीछी ; प्रतिलेखन-उपकरण । पिंडस्थध्यान-अर्हत, सिद्ध या देहस्थित आत्मा का ध्यान ; आत्मचिन्तन ।
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