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________________ तेजस् शरीर - आहार का पाचक, दीप्ति का कारणभूत शरीर । तेजस् समुद्घात - तेजस् शरीर का संकोच - विस्तार | त्यक्त - देह - सलेखना - विधि से छोडा गया शरीर । त्याग - छोडना ; ससार, देह और भोगो से उदासीनता ;. परभाव का ग्रहण न करना । त्रस - स्पर्श - इन्द्रिय से अधिक इन्द्रिय वाले द्वीन्द्रिय आदि जीव, जो स्वयं चलने-फिरने में समर्थ हैं । त्रस - जीव । त्रस - कायिक- जगम जीव, द्वीन्द्रियादि जीव । त्रसनाली / त्रसनाड़ी -कुल चौदह रज्जू परिमित प्रदेश, जहाँ स- जीव रहते हैं 1 त्रसरेणु -१ आठ परमाणुओ का एक परिमाण-विशेष, २ बत्तीस हजार सात सौ अडसठ परमाणुओं का एक परिमाण - विशेष | त्रीन्द्रिय - स्पर्शन, रसना तथा घ्राण-इन तीन इन्द्रियो वाले जीव, चीटी आदि प्राणी । [ ६४ ]
SR No.010280
Book TitleJain Paribhashika Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size3 MB
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