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प्रस्तुत कोश में जैन परिवेश से जुड़े उन सभी शब्दो का आकलन करने का प्रयाम किया गया है जो आम तौर पर प्रचलित एव चर्चित हैं । वेसे हर धर्म, दर्शन के पाम कुछ-न-कुछ ऐमी शब्दावली होती है, जिसे वह एक विशेष अर्थ एवं ध्येय के लिए प्रयोग में लाता है। जन-दर्शन में ऐमी शब्दावली की कोई कमी नहीं है। जैन-पारिभाषिक शब्द तो वेशुमार/बेहिसाब है। प्रस्तुत लघु-कोश मे मंग्रहित किये गये शब्दो को मरलता एवं बोधगम्यता के साथ पेश किया गया है। मैने शब्दो के सद अर्थों को तो दिया है, अर्थों की नई मम्भावनाओ का भी स्वागत किया है। शब्द-शक्ति का ह्रास एव विकास दोनों मम्भावित है। शब्द में जो अर्थ व्याप्त है या स्वीकृत है, उसकी मम्प्रेषणीयता की सुरक्षा आवश्यक है ।। ___ आशा है, यह कोश स्नातक विद्यार्थियो के लिए तो उपयोगी होगा ही, आम-जैन भी इसे खूब चाव से पढ़ेगा और अनबूझे शब्दो की गहराई में डूवकर निहाल होगा। २८ नवम्बर, १९६०
चन्द्रप्रभ