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ईया-गमन । ईर्यापथकर्म-कर्म आगमन का द्वार । ईर्यापथ क्रिया--केवल शारीरिक चेष्टा ; ईर्यापथकर्म की
कारणभूत क्रिया। ईया-समिति-विवेकपूर्वक गमनागमन क्रिया । ईश्वर-ऐश्वर्यशाली ; परमात्मा ; कैवल्य-विभूति । ईषत्प्रारभार-सिद्धक्षेत्र । ईहा-मतिज्ञान का एक भेद, अवग्रह से जाने गये पदार्थ के
विशेष जानने की इच्छा।
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