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आत्मा- व्यक्ति का निजत्व और अमूर्त अन्तस् तत्त्व , विशुद्ध
जीव द्रव्य । आदान-निक्षेपण-समिति-वस्तुओ को उठाने-रखने में विवेक
यतनाचार। आदेय-कान्तियुक्त शरीर का कारण । आधाकर्म-साधु के लिए बनाया गया आहार; देखें-अधःकर्म । आन-पान-प्राण का एक अग; श्वासोच्छ्वास । आनुपूर्वी-१ सर्वज्ञ कथित वचन का तदनुसार प्ररूपण,
२. विशिष्ट प्रदेश और आकार के कारण इच्छानुसार गमन क्रिया, ३ तीर्थ कर क्रम या पचपरमेष्ठी की
पूर्वापर गणनात्मक क्रम-योजना । आप्त-सर्वज्ञ। आबाधा-कर्म-बन्ध के उदय और क्षय का मध्यवती समय । आभिनिबोधक-देखें-अभिनिवोध । आम्नाय-१. स्वाध्याय २. परम्परा । आयतन-सम्यग्दर्शन आदि गुणो का आधार । आयंबिल-देखें-आचाम्ल । आयु-गति-विशेष , कर्म विशेष ।
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