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स्नातक-कम-मुक्त ; केवली । स्निग्ध-बन्ध का हेतु ; धनात्मक ; परमाणु का आकर्षण
गुण ; स्पर्श संयोग के होने पर पदार्थों' के बन्ध का
कारण। स्पर्शन-वह इन्द्रिय, जिसके द्वारा स्पर्श किया जाता है । स्फोट-अर्थ प्रकट करने वाली चैतन्य शक्ति । स्मृति-अनुभूत पदार्थ को विषय करने वाली ; स्मरण । स्यात्-समन्वय स्थापित करने वाला एक निपात ; एकान्त
हठ का निरोधक । स्याद्वाद-अनेकान्तात्मक वस्तु का कथन ; वस्तु के जटिल का
विश्लेषक समन्वयकारी न्याय । स्वदार-सन्तोषव्रत-अपनी पत्नी से ही सन्तोष करना;
ब्रह्मचर्य-अणुव्रत । देखें-ब्रह्मचर्य । स्वभाव-निजत्व ; निष्पक्ष भाव । स्वयंबुद्ध-आत्म-जागृत-पुरुष ; वे साधक जो स्वयं ही प्रबुद्ध
स्वलिंग-श्रमण-वेश/परिवेश ; रजोहरण, मयूरपिच्छी, मुखवस्त्रिका, चोलपट्टक, साड़ा आदि ।
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