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सकलादेश - एक गुण की अपेक्षा से समस्त वस्तु पर विचार | सकलेन्द्रिय-पंचेन्द्रिय जीव; पूर्ण इन्द्रिय-सम्पन्न जीव । संकर- अयोग्य और असंयमी जनो से मिश्रण ।
संकोच - सिमटना, छोटे अधिकरण में भी बडे द्रव्य का अपनी परिपूर्णता से ममायोजन ।
संक्रमण - परिवर्तन, एक प्रकृति का अन्य प्रकृति में प्रवेश । संक्लेश - आर्त और रौद्र ध्यान रूप परिणाम | संखड़ी - प्राणियो की आयु खण्डित करने वाली प्रकरण - क्रिया । सख्यात - संख्येय; वह संख्या, जो पाँच इन्द्रियों की विषय वन मकती हो ।
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संख्या - प्ररूपणा - परिमाण का कथन ।
संग्रह - नय - विशेष प्रत्येक जाति के अनेक द्रव्यो में जाति की अपेक्षा एकत्व की दृष्टि परिग्रह ।
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संघ - समूह, श्रावक-श्राविका एवं साधु-साध्वी की सामूहिक व्यवस्था, गुणो का समुदाय, गणो का समूह ।
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