SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 112
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०२] जैन परम्परा का इतिहास करने के सिवाय वे आगे नही बढे । जीवनी के लेखको में जयाचार्य का एक विशिष्ट स्थान है। भिक्षुजश रसायन, हेम नवरसो आदि आपकी लिखी हुई प्रख्यात जीवनियाँ है। इतिहासकार तेरापथ के इतिहास को सुरक्षित रखने का श्रेय जयाचार्य को ही है । उन्होने आचार्य भिक्षु को विशेष घटनाओं का संकलन कर एक महत्त्वपूर्ण कार्य किया। साधु-साध्वियो की 'ख्यात' का सग्रह करवाया। इस दिशा में और भी अनेक कार्य किए। मर्यादा पुरुषोत्तम जयाचार्य की शासन-शैली एक कुशल राजनीतिज्ञ की सी थी। वे अनुशासन और संगठन के महान् निर्देशक थे। उन्होने संघ को सुव्यवस्थित रखने के लिए छोटे-बड़े अनेक मर्यादा-ग्रन्य लिखे । आचार्य भिक्षु रचित मर्यादाओं की पद्य-बद्ध रचनाए की । आचार्य भिक्षुकृत "लिखनो की जोड़' एक अपूर्व रचना है। गद्य-लेखक प्राचीन लोक-साहित्य में गद्य बहुत कम लिखा गया। प्रत्येक रचना पद्यो में ही की जाती। जयाचार्य बहुत बड़े गद्य-लेखक हुए है। उन्होने 'आचार्य भिक्षुके दृष्टान्त' इतनी सुन्दरता से लिखे है, जो अपनी प्रियता के लिए प्रसिद्ध है। महान्-शिक्षक जीवन-निर्माण के लिए शिक्षा नितान्त आवश्यक तत्त्व है । शिक्षा का अर्थ तत्त्व की जानकारी नही। उसका अर्थ है जीवन के विश्लेषण से प्राप्त होनेवाली जीवन-निर्माण की विद्या। जयाचार्य ने एक मनोवैज्ञानिक की भाँति अपने संघ के सदस्यो की मानसिक वृत्तियो का अध्ययन किया। गहरे मनन और चिन्तन के बाद उस पर लिखा। यद्यपि इस विषय पर कोई स्वतन्त्र ग्रन्थ नही लिखा, कई फुटकर ढालें लिखी, किन्तु उनमें मानव की मनोवृत्तियो का जिस सजीवता के साथ विश्लेषण हुआ है वह अपने ढग का निराला है। जीवन को बनाने के लिए, मनकी वृत्तियो को सुधारने के लिए, जो सुझाये है, वे अचूक है।
SR No.010279
Book TitleJain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year
Total Pages183
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy