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१३. जन युग-निर्माता। सत्यम • मान के मि१३ चढ़ाया गया-भरतने माताका सोच, पिताकी मज्ञा • ६५ के आग्रह को माना ।
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वृक्षोंक मधुर फल रूकिर अपनी क्षुधा शान्त हुए वे को परेवा सरिताको पारकर दंडकारण्यके निकट पहुंचे। गिरिको मुन्दरताने उनके हृदयको माकर्षित कर लिया । वे कुछ समयको विश्राम लेनके लिए वहीं एक कुटी बनाकर ठहर गए।