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निवेदन।
ऐसे तो कई तीर्थकर, कई महामुनि, कई महान् सम्राट् व कई आचार्योंके चरित्र प्रकट हो चुके हैं, लेकिन एक ऐसे ग्रन्थकी आवश्यकता थीं जिसमें जैन युग-निर्माता, जैन यग-पुरुष व जैन युगाधार व जैन युगान्त महापुरुषोंके चरित्र एक साथ सरल भाषामें हों अतः ऐसे ऐतिहासिक कथा-ग्रन्थकी आवश्यकता इस ग्रन्थसे पूर्ण होगी।
इस ग्रन्थकी रचना जैनाचार्य, जैन कवियोंका इतिहास, ऐतिहासिक महापुरुष, आदिर के रचयिता श्रीमान् पं० मूलचंदजी जैन वत्सल विद्यारत्न, विद्या-कलानिधि, साहित्यशास्त्री-दमोहनिवासीने महान् परिश्रमपूर्वक की है। दो वर्ष पहिलेकी बात है कि जब आपने हमें इस ग्रन्थके प्रकाशनके विषयमे लिखा तो हमने इसे देखकर इसके प्रकाशनको स्वीकृति बड़े हर्षसे दी थी जो आज हम प्रकाशन कर रहें हैं। हमसे जितने हो सके उतने भाव-चित्र इस कथा-ग्रन्थमें संमिलित किये हैं जो पाठकों को अधिक रुचिकर होंगे।