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जैन युग-निर्माता। हर्षका ठिकाना न रहा । अयोध्या सुम्बद उसबसे एक बार फिर सुसज्जित हो उठी । ज्योतिषियों ने वीर बालकका गम मात खा । ____ कुछ दिन बाद देवी सुनन्दाने भी पुत्र प्रसव किया जिसका
बाहुबली' रखा गया। __पुत्र जन्मके कुछ समय पश्चात देवी रशस्वती और सुनन्दाने दो कन्याओं को जन्म दिया जिनका नाम ब्राह्मो और सुन्दरी निर्धारित किया गया ।
नाभिगयका प्रांगण बालक बालिकाओंकी मधुर क्रीड़ा और विनोदसे भर गया । सभी बालक बालिक एं परस्पर खेल कूदकर घरभामें आनंद उसकी वर्षा करने लगी। नगर के सभी नर नारी उन सुन्दर बालकों को देखकर फूले नहीं समाते थे ।
श्री ऋषभदेव सभी वालकोंको अमावस्थासे शिक्षण देने लगे। बालिकाओं को भी वे पूर्ण शिक्षित और ज्ञानवान बनाना घाइते थे इसलिए कुमारी ब्रह्मी और मुन्दरीको भी उन्होंने शिक्षा देना पारंभ किया । सभी बालक बालिकाएं बड़े मनोयोगके साथ शिक्षा ग्रहण करते थे इसलिए थोड़ी मायुमें ही वे विद्यावान् बनगए । ___ भरत, पाहुनलि और वृषभसेन तीनों कुमारों को गजनीति, धनुर्विद्या, संगीत, चित्रकला तथा साहित्यकी शिक्षा दी गई। इनमें मातने नीतिश न, और नृत्य कला में विशेष अनुभव प्राप्त किया । वृषभसेन संगीत और बाहुबलि वैद्यक, धनुर्वेद, तथा सा और अश्वपरीक्षा अधिक कुशल हुए।