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निमग्न होता हुआ समाधि की दशा को प्राप्त होता है।
प्रश-सिद्ध और अर्हन् देवों में किन २ वातों का भेद होता है ? .
उत्तर-केवलज्ञान और केवलदर्शन और अनंत सुख वा अनंत वल इन वातों में किसी बात का भी भेद नहीं है, किन्तु अर्हन् देव वेदनीय आयुष्य, नाम और गोत्र इन चार कर्मों से युक्त होते हैं । फिर वे देह-धारी होने से अपने पवित्र उपदेशों द्वारा जगत् वासी जीवों पर परम उपकार करते रहते हैं; परंच सिद्ध परमात्मा आठ कर्मों से रहित होने से केवल अपने ही स्वरूप मे निमग्न रहते हुए लोक और अलोक पर्याएं देखते रहते हैं। क्योंकि वे सर्वज्ञ और सर्वदर्शी होते हैं।
प्रश्न-क्या अर्हन् भगवान् को भी सिद्ध कह सकते हैं ?
उत्तर-भविष्यत् नैगम नय के मत से अर्हन् देव को भी सिद्ध कह सकते हैं, क्योंकि अर्हन् भगवान् ने आयुष्कर्म के क्षय हो जाने पर अवश्यमेव मोक्षगमन करलेना है।
प्रश्न-जो धर्मोपदेश अरिहन्त भगवन्तों ने दिया हुआ है तो क्या यही उपदेश सिद्ध परमात्मा ने दिया है, इस प्रकार कह सकते हैं.? ।
उत्तर-हां ! यह गत भली भांति तथा निर्विवाद सिद्ध है कि-जो धर्मोपदेश श्रीअर्हन देवों ने किया है, वही धर्मोपदेश सिद्ध परमात्मा का भी है। क्योंकि- केवलज्ञान की अपेक्षा से श्रीअर्हन् देव और सिद्ध परमात्मा में अभेदता सिद्ध होती है, तथा दूसरी यह भी बात है कि-अर्हन् देव ने अवश्यसेव मोक्ष गमन करना है। जव वह मोक्ष गमन करता है, तब उस जीव की अर्हन् संज्ञा हटकर सिद्ध संज्ञा होजाती है। अतः वह पूर्वोक्त उपदेश सिद्ध परमात्मा का ही कहा जाता है। " सिद्धा एवं वदंति" सिद्ध इस प्रकार कहते है, इस प्रकार के वाक्य देखने से निश्चय होजाता है कि-अर्हन् देवों को ही निश्चय मे गुण एक होने से सिद्ध माना गया है।
इस प्रकार ज्ञान की एकता और चार कर्मों के भाव अभाव के होने से अर्हन् देव और सिद्ध परमात्मा यह दोनों पद "देव' मैं माने गए है । कारण किजो सर्व प्रकार के दोपों से निवृत्त होगया है, वही देव कहलाने के योग्य होता है, फिर उसी का सत्योपदेश भव्य जीवों के कल्याण के लिये उपयोगी माना जाता है: स्योंकि-रागी आत्मा का एकान्ततः स्वार्थमय जीवन होता है, अतः वह अपने जीवन के लिये ही उपदेश करेगा, जिस प्रकार उस को दुःखों का सामना न करना पड़े, तथा उसकाजीवन पौगलिक सुखों से वंचित न रहे; वह उसी प्रकार की चेष्टा करता रहेगा। परंच वीतरागीमहात्माओं का जीवन अन्य आत्माओं के कल्याणार्थ ही होता है. वे औरों के कल्याण के लिये नाना प्रकार के कप्टों का सामना