________________
समर्पण |
श्रीमद् गणावच्छेदक वा स्थविरपदवि - भूषित स्वर्गीय श्री श्री श्री स्वामी गणपति राय जी महाराज !
आप की महती कृपा से इस दास को जैन धर्म की प्राप्ति हुई है, आपने ही इस दास को जैनतत्त्वों का अभ्यास कराया था । अतः आप के सद्गुणों में मुग्ध होता हुआ और आप के अपार उपकारों का स्मरण करता हुआ मैं इस ग्रन्थ को आप के करकमलों में सादर समर्पण करता हूँ ।
उपाध्याय जैनमुनि आत्माराम ।
C
Chin
श्री हंसराज बच्छराज नाहटा सरदारशहर निवासी
द्वारा
जैन विश्व भारती, को सप्रेम भेंट
लाडनू