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तिरिक्ख जोणियाउयकम्मासररिप्पयोग पुच्छा, गोयमा ! माइल्लि - याए नियडिल्लयाए अलियवयणेणं कूडतुलकूडमाणेणं तिरिक्खजोणिया उयकम्मासरीर जावप्पयोगबंधे ।
भग० श० प उद्देश
भावार्थ — हे भगवन् ! तिर्यग्योनिकायुष्कार्मण शरीर प्रयोग का बंध किस कारण से किया जाता है ? इसके उत्तर में श्री भगवान् कहते हैं किहे गौतम ! पर के वंचन (छलने ) की बुद्धि से, वंचन के लिये जो चेष्टाएँ हैं उन मैं माया का प्रच्छादन करने से अर्थात् छल में छल करने से, असत्य भाषण से और कूट 'तोलना और कूट ही मापना इस प्रकार की क्रियाओं के करने से जीव पशु योनि की आयु बांध लेता है । जिसका परिणाम यह होता कि वह मर कर फिर पशु वन जाता है ।
प्रश्न- मनुष्य की आयु जीव किन २ कारणों से बांधते हैं ? उत्तर--भद्रादिक्रियाओं के करने से जीव मनुष्य की आयु को वांध लेता है जैसेकि -
मगुस्सायकम्मा सरीर पुच्छा, गोयमा ! पगइभद्दयारा पगइविणीयया साक्कोसयाए मच्छरियाए मगुस्साउयकम्माजावप्पयोगवंधे ।
भग० श० २०६।
भावार्थ - हे भगवन् ! मनुष्य की आयु जीव किन २ कारणों से वांध हैं ? हे शिष्य ! स्वभाव की भद्रता से, स्वभाव से ही विनयवान् होने से, अनुकंपा के करने से और परगुणो मे असूया न करने से अर्थात् किसी पर ईर्ष्या न करने से । इन कारणों से मनुष्यायुष्कार्मण शरीर का बंध किया जाता है । प्रश्न- देव की आयु किन २ कारणों से बांधी जाती है ?
उत्तर- सराग संयमादि क्रियाओं से देवभव की आयु बांधी जाती है जैसेकि—
देवाउयकम्मासरीर पुच्छा, गोयमा ! सरागसंजमेणं संजमासंजमेणं बालतवोकम्मेणं अकामनिज्जराए देवाउयकम्मा सरीरजावप्पयोगबंधे ॥ भगवती, सू० शतक उद्देश ॥६॥
भावार्थ - हे भगवन् ! देवायुष्कार्मण शरीर किन २ कारणों से वांधा जाता है ? हे शिष्य ! देवभव की श्रायु चार कारणों से बांधी जाती है। जैसेकि - :- राग भाव पूर्वक साधु वृत्ति पालन से गृहस्थ धर्म पालन करने से, अज्ञानता पूर्वक कष्ट सहने से, अकामनिर्जरा ( वस्तु के न मिलने से )
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