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होंगे, परन्तु वर्त्तमान समय एक है। पुद्गल द्रव्य के अनंत परमाणु हैं, फिर एक २ परमाणु में अनंत गुण पर्याय हैं । पुद्गलद्रव्य अनंत है, किन्तु सर्व परमात्रों में पुद्गलत्व एक है। इसी प्रकार जीवद्रव्य अनंत है, परन्तु एक २ जीव के असंख्यात प्रदेश हैं । जीव द्रव्य अनंत गुण पर्याय संयुक्त है, किन्तु अनंत जीव होने पर भी जीवत्व भाव सब में एक समान है ।
यदि ऐसे कहा जाए कि जब सब जीव एक समान हैं, तो सिद्ध परमात्मा सर्वानन्दमय और संसारी जीव कर्मों के वश पड़े हुए दुःखी क्यों देखे जाते हैं और वे फिर पृथक् २ दीखते हैं ? इस शंका के समाधान विषय कहा जाता है कि - निश्चय नय के मत पर जब हम विचार करते हैं, तब सिद्ध होता है कि - सर्व जीव सिद्ध समान हैं । संसारी जीव कर्म-दाय करने से ही सिद्ध होते हैं । अतएव सर्व जीवों की सत्ता एक ही है । इस समाधान के विषय पुनः शंका यह उपस्थित होती है कि- -जब सर्व जीव सिद्ध समान हैं। तो फिर अभव्य जीव मोक्ष पद क्यों नहीं प्राप्त करता ? इस के उत्तर में कहा है कि- अभव्यात्मा के कर्म ही इस प्रकार के होते हैं कि-जिन्हें वह सर्वथा क्षय ही नहीं करसकता । यह उस का अनादि काल से स्वभाव ही है । किन्तु सर्व जीवों के जो मुख्य आठ प्रदेश हैं, वे एक ही समान होने से सर्व जीव सिद्ध के समान कहे जासकते हैं । अतएव निष्कर्ष यह निकला कि -सर्व जीवों का सत्तारूप गुण एक ही है ।
अव सत्य और असत्य पक्ष विषय कहते हैं- जैसेकि -
स्वद्रव्य १, स्वक्षेत्र २, स्वकाल और स्वभाव ४ के देखने से निश्चय होता है कि सर्व द्रव्य अपने गुण से सत् रूप हैं, परन्तु परद्रव्य १, परक्षेत्र २, परकाल ३, परभाव की अपेक्षा से श्रसत् रूप हैं ।
षट् द्रव्य में द्रव्य क्षेत्र काल और भाव विषय कहते हैं ।
स्वद्रव्य द्रव्य का मूल गुण धर्मास्तिकाय का स्वद्रव्य चलनसहायक गुण १, अधर्मास्तिकाय का स्वद्रव्य स्थिरगुण २, आकाश का स्वद्रव्य अवगाहनगुण ३, कालद्रव्य का स्वद्रव्य वर्त्तनालक्षण ४, पुद्गल द्रव्य का स्वद्रव्य मिलना और विछुड़ना स्वभाव ५, जीव द्रव्य का स्वद्रव्य ज्ञानादि चेतनालक्षण |
स्वक्षेत्र प्रदेशत्व इस प्रकार से है । धर्म १, अधर्म २, स्वक्षेत्र असंख्यात प्रदेश परिमाण हैं । आकाश द्रव्य का स्वक्षेत्र अनंत प्रदेश है । काल का स्वक्षेत्र समय है । पुद्गल द्रव्य का स्वक्षेत्र एक परमाणु से लेकर अनंत परमाणु पर्यन्त है । जीव द्रव्य का स्वक्षेत्र अनंत जीवद्रव्य और प्रत्येक २ जीव के असंख्यात प्रदेश | स्वकाल अगुरुलघु पर्याय इस प्रकार से है, जैसेकि-स्वकाल गुरु लघु पर्याय सर्व द्रव्यों में है, किन्तु स्वभाव गुण पर्याय - सर्व द्रव्यों में, स्व २