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जैन पूजांजलि
सहज शुर निष्काम भाव से भव समुद्र को तरो तरो । आत्मोज्ज्वलता में बाधक, शुभ अशुभ राग को हरो हरो ॥
शिव पथ का अनुसरण करू प्रभु मैं व्यवहार धर्म पालू। निज शुद्धात्म पर करुणा कर निश्चय धर्म सहज पालूं ॥ ॐ ह्रीं श्री उत्तम क्षमा धर्मागाय पूर्णाऱ्याम् निर्वपामीति स्व हा ।
मोक्ष मार्ग दर्शा रहा क्षमा वरपी का पर्व । क्षमाभाव धारण करो राग द्वेष हर सर्व ॥
x इत्याशीर्वादः ॐ ह्रीं श्री उत्तम क्षमा धर्मा गाय नमः ।
जाप्य
श्री दीपमालिका पूजन महावीर निर्वाण दिवस पर महावीर पूजन कर लूं। वर्धमान अतिवीर वीर सन्मति प्रभु को वन्दन कर लूं ॥ पावापुर से मोक्ष गये प्रभु जिनवर पद प्रचंन कर लू । जगमग जगमग दिव्य ज्योति से धन्य मनुज जीवन करलू। कार्तिक कृष्ण अमावस्या को शुद्ध भाव मन में भर लू। दीपमालिका पर्व मनाऊँ भव भव के बन्धन हर लू॥ ज्ञान सूर्य का चिर प्रकाश ले रत्नत्रय पथ पर बढ़ लूं। पर भावों का राग तोड़कर निज स्वभाव में मैं अड़ लूँ॥
ॐ ह्रीं कार्तिक कृष्ण अमावस्याम् मोक्ष मङ्गल प्राप्त श्री वर्धमान जिनेन्द्र अत्र अवतर अवतर सवौषट् ।
ॐ ह्रों कार्तिक कृष्ण अमावस्याम् मोक्ष मङ्गल प्राप्त श्री वर्धमान जिनेन्द्र अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम् ।
ॐ ह्रीं कार्तिक कृष्ण अमावस्याम् मोक्ष मङ्गल प्राप्त श्री वर्धमान जिनेन्द्र मत्र मम् सन्निहितो भव भव वषट् । चिदानन्द चैतन्य अनाकुल निज स्वभाव मय जल भर लू। चन्म मरण का चक्र मिटाऊँ भव भव की पीड़ा हर लू॥