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पचम अध्याय .विभिन्न अपेक्षामो से परमाणु पदगल
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परिणाम-अपेक्षा-परमाणु-पुद्गल परिणामी है। वर्ण, रस, गन्ध, तया स्पर्म के भावों में परिणामी है। परमाणु-पुद्गल में केवल चार वर्ण, रस, गन्व, स्पर्श के परिणाम होते है। मस्थान का परिणमन परमाणु की व्यक्तिगत स्वतन्त्र अवस्था में नहीं होता है, क्योंकि यह आकाररहित है तथा व्यक्तिगत अवस्था में कोई प्राकार ग्रहण नहीं करता है। व्यक्तिगत अवस्था में परमाणपुद्गल भावां के गुणो की वृद्धि हानि-रूप परिणमन करता है, लेक्नि अन्य परमाण के माय बन्धन को प्राप्त होकर भावो के त्पभेदो में भी परिणमन करता है। स्व अवम्या में परमाणु में क्वल विन्नमा परिणमन ही होता है।
अगुरु-लघु-अपेक्षा-(क) परमाणु-युद्गल काय अपेक्षा अगुरुलघु है। पिण्डहीन तथा प्रदेगहीन है। इसने लधु यानी छोटा या हल्का और कोई नहीं है। यह अगर अर्थात किमी से वडा या भारी नहीं है।
(ब) परमाणु-पुद्गल भाव-अपना अपने भाव-गुणो में व्यक्तिगत अवस्या में अगुरु-लघु है अर्थात् इनके भाव-गुणो की शक्तियों में पट् परिणाम में हानि-वृद्धि होती है। परमाणु-पुद्गल अकेला रहकर भी अपने भाव-गुणों में पट् परिणाम से परिणमन करता है। उदाहरण-एक परमाणु पुद्गल एक-गुण काला है। वह अपने अगुरु-लघु गुण मे अनन्त गुण काला हो सकता है तथा
१-भगवतीसूत्र ८ . १०
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