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पंचम अध्याय विभिन्न अपेक्षाओं से परमाणु पुद्गल
नाम-अपेक्षा-परमाणु-पुद्गन को केवल "परमाणु" या "द्रव्य परमाणु" भी कहा जाता है।
द्रव्य-अपेक्षा परना-शुद्गल "द्रव्य" है, क्योकि परमाणु पुद्गल के गृण तथा पर्याय दोनों होते हैं।
क्षेत्र अपेक्षा-परमाण-पुदगल अलोक क्षेत्र में नहीं है और न जा सकता है। लोक क्षेत्र में नवंत्र है। स्वयं व्यक्ति भाव ने (Individually) एक्क्षेत्र प्रदेश में है। व्यक्तिगत वह एकत्र प्रदेश ही रोकता है, दो या अधिक क्षेत्रप्रदेश नहीं रोक सकता है। एकक्षेत्र प्रदेश में दूसरे परमाणु-पुद्गली के साथ मिलकर भी रह सस्ता है।
माल-अपेक्षा-परमाणु-पुदगल त्रिकालवर्ती है। अनन्त मृतकाल में था, वर्तमानकाल में भी है, तथा अनागत भविप्यतकाल में रहेगा।
भाव-अपेक्षा परमाण-सुद्गल में वर्ण, रन, गन्ध, तथा स्पा होते हैं। वर्ण, रस, गन्ध, तया स्पर्ग यह चारो परमाण-पुदगल के मात्र कहे गये हैं।
नित्यानित्य-अपेक्षा-परमाणु-पुद्गल नित्य है, अनित्य नहीं है।