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जैन पदार्थ-विज्ञान में पुद्गल
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प्रकार प्रत्येक वर्ण - काला, नीला, लाल, पीला, सफेद के गुणाशो की तारतम्यता की अपेक्षा पुद्गल के ग्रनन्त भेद होते हैं । इसी प्रकार गन्ध, रस, स्पर्श के गुणाशी की तारतम्यता की अपेक्षा पुद्गल के अनन्त अनन्त भेद होते हैं ।
पर्याय अपेक्षा से अनन्त भेद--पुद्गल परिणामी है। सघातभेद के निमित्त वन्ध-भेद को प्राप्त होकर पुद्गल वर्ण, रस, गन्ध, स्पर्श, सस्थान में परिणमन करता है तथा इस प्रकार अनन्त व्यजन पर्यायो को धारण करता है । इन अनन्त पर्यायों की अपेक्षा पुद्गल के ग्रनन्त भेद जैसे शब्द, श्रातप, उद्योन, अन्धकार, पानी, पृथ्वी, वादल आदि होते हैं |