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( 122 ) उससे पहले नहीं होता। यह प्रानन्तयं या कमभाव भी मामान्य या मा मोम नियम का प्राधार बनता है। एक के अनन्तर दूसरी घटना अनिवार्यत. चरित होती है, उसके आधार पर भौतिकशास्त्री अनेक नियम निर्धारित करते हैं। उत्तरवर्ती पर्याय का पूर्ववर्ती पर्याय के साथ अनिवार्य सम्पन्न होता है तो पूर्ववर्ती पर्याय उत्तरवर्ती पर्याय का और उत्तरवर्ती पर्याय पूर्ववर्ती पर्याय का गमक हो सकता है । पूर्वपर पीर उत्तरचर मे क्यधिकरण्य होता है, वे एक आधार मे नहीं होते, फिर भी उनका अानन्तर्य कही और कभी वाधित नहीं होता। तादात्म्य में शिपा से वृक्षत्व को पृय नही किया जा सकता। रविवार और मोमवार मे तादात्म्य सम्बन्ध नही है, इसलिए इन्हे पृथक किया जा सकता है, किन्तु इनके प्रानन्तर्य सम्बन्ध को नहीं तोड़ा जा सकता। आनन्तर्य तादात्म्य की भाति गमक हो सकता है, इसलिए इसके आधार पर सामान्य नियम बनाने मे कोई वाचा नहीं पा ।।
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