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________________ दान वर्णन मनोहर छन्-एमूढ अचेतो कइक चेतो,माखिर नामें मरना है। धन रह ही बाही संगन जाही, सात दान सु करना है ॥११॥ बन दान न सिद्धी अद्धी ,दुरगति दुख अनुसरना है। करपणता पारी शठमति भारी,विनहिं न सुभगति वरना है।एश यामें नहिं संसा नृप श्रेयसा, कियख दान दुख हरना है। सो ऋषभ प्रताचे स्याग त्रिसापे, पायौ घाम अमरना है ॥१२॥ श्रीषेण सुराजा दान प्रभावा, गहि जिनशासन सरना है। लहि सुख बहु भांती है जिन शांती, पायो वर्ण अवर्णा है ॥१४॥ इक अकृत पुण्या किया सुपुण्या, लहित तुरत जिय मरना है। है धन्यकुमारा पारित धारा, सरवारथ सिधि घरना है ॥१५॥ सूकर मर नाहर नकुलर वानर, ममि चारम मुनि चरना है। करि दान प्रशंसा लहि शुभ वंशा,हरै जनम जर मरना है ।१६॥ दोहा-बाघ पर श्रीमती, दानतने परमाव । नर सुर सुख लहि उत्तमा भये जगतकी नाव ॥१षा वनअंघ आदीश्वरा, भए जगतके ईश । भये दानपति श्रीमती, कुलकर माहि अघीश ॥१८॥ अन्नदान मुनिराजकों, देत हुते श्रीराम ! करि अनुमोदन गीष इक, पंछी अति अभिराम ॥१॥ भयो धर्मथी अणुप्रती, कियो रामको संग । राममुखै जिन नाम सुनि, लगो स्वर्ग अतिरंग ॥२०॥ अनुक्रम पहुंचेगो भया, राम सुरग वह जीव । धारंगौ निनमाव साहु, तजिकै भाव अजीव ॥२१॥ दानकारका अमित ही, सीझे भवी भात । बहुरि दान अनुमोदका, कौलग नाम गिनात ॥२२॥ पात्रदान सम दान भार, करुणादान बखान । सकल दान है अन्तिमो, जिन माला परवान ॥२३॥ मापथको गुण अधिक जो, सादि चतुर
SR No.010271
Book TitleJain Kriya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatram Pandit
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size7 MB
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