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________________ भाषा-शैली ३११ इत्यादि प्रश्नों का उत्तर देना बहुत कठिन है । जो हो, इतना अवश्य है कि 'ढाल' राजस्थानी जैन काव्य (विशेषतः श्वेताम्बर परम्परा के जैन कवियों के काव्य) का अत्यन्त प्रिय और प्रशस्त छन्द-रूप है। उसमें अनेक रागरागिनियों की आधार-भूमि पर देशियों में ढालों की रचना उपलब्ध है। उसके अनेक काव्य तो केवल ढालों में ही विरचित हैं । 'ढाल' मूलतः राग-ताल-लयादि से युक्त है; रसात्मकता, प्रभविष्णुता एवं तरलता उसका विशेष गुण है; लोकगीतों की भांति वह लोक-हृदय के निकट है। श्री भंवरलाल नाहटा ने 'पद्मिनी चरित्र चौपई' की भूमिका में लिखा है-'अपनी परिचित स्वरलहरी और बोल-चाल की भाषा में जो रचनाएँ को जाती हैं, उनको साधारण जनता सरलता से अपना लेती है। लोकगीतों की प्रचलित देशियों में ढालें बनायी जाने से जनता उन्हें भावविभोर होकर सुनती है और उनसे मिलने वाली शिक्षाओं को अपने जीवन का ताना-बाना बना लेती है। विवेच्य प्रबन्धों में 'नेमिनाथ मंगल', 'श्रोणिक चरित' और 'नेमीश्वररास' ढालबद्ध रचनाएँ हैं । 'नेमिनाथ मंगल' को छोड़कर उक्त दोनों काव्यों में यत्र-तत्र कुछ और छन्दों का भी प्रयोग हुआ है, किन्तु प्रमुखता ढालों की है। 'श्रोणिक चरित' काव्य चउवन ढालों में (भाषा करी ढाल चौवन में) पूर्ण है । 'नेमीश्वर रास' में एक हजार दस ढालों का समावेश है, जबकि उसमें ढालों की तुलना में अन्य छन्दों की संख्या नगण्य है । वह 'रास भणों श्री नेमि को' की टेक के साथ सटेक गीत-शैली में लिखा गया है । अन्य प्रबन्धकाव्यों में से 'शतअष्टोत्तरी', 'सीता चरित', 'यशोधरचरित', 'चेतन कर्म चरित्र', 'नेमीश्वर रास', 'नेमिचन्द्रिका', 'श्रेणिक चरित', 'वरांग चरित', 'नेमिनाथ मंगल', 'पंचेन्द्रिय संवाद' प्रभृति रचनाओं में १. पद्मिनी चरित्र चौपई, पृष्ठ २६ । २. श्रेणिक चरित, पद्य १६६४, पृष्ठ ११४ । नेमीश्वर रास, पद्य १३०३, पृष्ठ ७७ ।
SR No.010270
Book TitleJain Kaviyo ke Brajbhasha Prabandh Kavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalchand Jain
PublisherBharti Pustak Mandir
Publication Year1976
Total Pages390
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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