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________________ भूमिका महाकाव्य उल्लेखनीय महाकाव्य दो हैं-(१) 'पार्श्व पुराण' और (२) 'नमीश्वर रास' । उनमें कवि भूधरदास विरचित 'पार्श्वपुराण' महाकाव्य-शृंखला की एक महत्त्वपूर्ण कड़ी माना जा सकता है । वह महाकाव्य विषयक अन्तः एवं बाह्य लक्षणों की कसौटी पर लगभग पूरा उतरने वाला काव्य है। वह महत् नायक, महदुद्देश्य, श्रेष्ठ कथानक, वस्तु-व्यापार-वर्णन, रसाभिव्यंजना, उदात्त शैली आदि की दृष्टि से सफल महाकाव्य प्रतीत होता है। उसमें अभाव है तो यह कि स्वर्ग-नरक आदि के लम्बे वर्णनों से यत्र-तत्र उसका कथानक उलझ गया है और उसका अन्तिम (नवम्) सर्ग' धार्मिक एवं दार्शनिक तत्त्वों की अतिशयता से प्रबन्ध की भूमि पर भारस्वरूप बन गया है। कवि नेमिचन्द्र का 'नमीश्वर रास' दूसरा महाकाव्य है। उसमें जैनों के बाईसवें तीर्थंकर नेमिनाथ को नायक का पद प्रदान कर, उनके समग्र जीवन के चित्रण का प्रयास किया गया है। एकार्थकाव्य आलोच्य काल में कतिपय एकार्थकाव्यों की भी सृष्टि हुई है। उदाहरण के लिए कवि लक्ष्मीदास का 'यशोधर चरित', अजयराज पाटनी का 'नेमिनाथ चरित', रामचन्द्र 'बालक' का 'सीता चरित', लक्ष्मीदास का 'श्रेणिक चरित' आदि । इन काव्यों में चरितनायक के सम्पूर्ण जीवन का चित्र समाहित है। इनमें एकार्थ की अभिव्यक्ति है । एकार्थकाव्यों में श्रेष्ठ है-कवि 'बालक' का 'सीता चरित', जो महाकाव्य जैसी गरिमा से युक्त है। उसमें चित्रित सीता का चरित्र अत्यन्त मार्मिक है । उसके शील-निरूपण में कवि की दृष्टि सराहनीय है। इसी दिशा में एक कृति और महत्त्वपूर्ण है । वह है : कवि लक्ष्मीदास १. भूधरदास : पार्श्वपुराण, नवम् सर्ग, पृष्ठ १३६ से १७६ ।
SR No.010270
Book TitleJain Kaviyo ke Brajbhasha Prabandh Kavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalchand Jain
PublisherBharti Pustak Mandir
Publication Year1976
Total Pages390
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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