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( १४ )
मौलिक प्रबन्धकाव्य (उन्नीसवीं शताब्दी)
शीलकथा, सप्त व्यसन चरित्र, निशि भोजन त्यागकथा, नेमिचन्द्रिका आदि ।
अनूदित प्रबन्धकाव्य (अठारहवीं शताब्दी) धर्म परीक्षा, प्रीतंकर चरित, पाण्डव पुराण, लब्धिविधान व्रतकथा, भद्रबाहु चरित्र, धन्यकुमार चरित्र आदि । अनूदित प्रबन्धकाव्य (उन्नीसवीं शताब्दी)
जीवंधर चरित, श्रेणिक चरित, वर्द्धमान पुराण, वरांग चरित्र (पाण्डे लालचन्द कृत ) वरांग चरित्र ( कमलनयन कृत ), जिनदत्त चरित आदि ।
(ख) वर्गीकरण
नामकरण की दृष्टि से वर्गीकरण : चरित नामान्त, पुराण नामान्त, रास - रासो नामान्त, कथा नामान्त, वेलि नामान्त, मंगल नामान्त, चन्द्रिका नामान्त, चौपई- कवित्त नामान्त, बारहमासा नामान्त, छन्द- संख्या नामान्त, संवाद नामान्त ।
विषय की दृष्टि से वर्गीकरण : ऐतिहासिक या पौराfre, दार्शनिक या आध्यात्मिक, धार्मिक या नैतिक ।
तत्त्वगत प्रधानता की दृष्टि से वर्गीकरण : वर्णन
प्रधान, घटना प्रधान, भाव प्रधान, समन्वयात्मक |
काव्यरूप की दृष्टि से वर्गीकरण : महाकाव्य, एकार्थकाव्य, खण्डकाव्य, निष्कर्ष ।
३. प्रबन्धत्व और कथानक - स्रोत
(क) प्रबन्धत्व
प्रबन्ध का स्वरूप, प्रबन्ध के निकष, सम्बन्ध निर्वाह, मार्मिक स्थल, दृश्यों की स्थानगत विशेषता, आलोच्य प्रबन्धकाव्य और सम्बन्ध निर्वाह, आलोच्य प्रबन्धकाव्य और मार्मिक स्थल, आलोच्य प्रबन्धकाव्य और दृश्यों की स्थानगत विशेषता, निष्कर्ष ।
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