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प्राचीन हिन्दी जैन कवि
कविवर बनारसीदास
कवि और उसका महत्व
" वे पुण्यात्मा रस सिद्ध कवीश्वर जयवन्त है जिनके यश रूपी शरीर को कभी जरा मरण भय नहीं लगता
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वे महात्मा पुरुष धन्य हैं और उन्हीं का यश संसार में स्थिर है जिन्होंने उत्तम काव्यों की रचना की है
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संसार में कविता हो ऐसी वस्तु है जिससे संसार का कल्याण होता है और देश तथा समाज का गौरव स्थिर रहता
1 काव्य प्राणियों के मन पर अपना जादू का सा असर डालता हैं । दुःख से व्याकुल हुए मानवों को धैर्य बँधाता है, कर्तव्य से गिरे हुए मनुष्य को कर्म का पाठ पढ़ाता है और निराश मनुष्य के मनमें आशा की तरंगे भर देता है काव्य जीवन का एक सुखद साथी है । आत्मा को ऊँचा उठानेवाला पवित्र मंत्र है लोकोपकार का प्रधान साधन है ।
कवि संसार की एक महान् विभूति है उसकी अमूल्य चैव उसका सत्काव्य है । उसका सत्काव्य भंडार निरंतर अक्षय रहता है. वह कभी नष्ट नहीं होता । कवि को अपनी कविता