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प्रतिवेदन
भगवान् महावीर की २५७१ की जयन्ती के अवसर पर स्मारिका प्रकाशित करते हुये परम प्रसन्नता हो रही है । स्मारिका के लिये आये, प्रायः सभी लेख व कविताएँ प्रकाशित की गई है पर कुछ लेखो को स्थान की कमी तथा विलम्ब से आने के कारण प्रकाशित नही किया जा सका, जिसके लिये उन लेखक बन्धुओ से क्षमा चाहते है । लेख प्रायः यथावत् प्रकाशित किये गये हैं । कई लेखो को स्थानीय अंग्रेजी, हिन्दी, बंगला व उर्दू पत्रों में छापने के लिये भी भेजा गया है और आशा है, कई पत्रो मे लेख प्रकाशित होगे ।
प्रत्येक वर्ष की तरह गत वर्ष भी भगवान् महावीर की २५७० की जयन्ती बडी धूम-धाम से मनाई गई । सप्ताह व्यापी कार्यक्रम का आयोजन किया गया था । चैत्र शुक्ला त्रयोदशी वी सं० २४६७ तदनुसार ता० २७-३७२ को जो श्री जैन विद्यालय में श्री विजयसिंह नाहर ( भूतपूर्व पश्चिम बंगाल राज्य उप मुख्यमन्त्री ) की अध्यक्षता में एक आम सभा की गई। प्रधान अतिथि श्री रामकृष्णजी सरावगी, राज्य मन्त्री पश्चिम बंगाल ने कहा था कि भगवान् महावीर के सिद्धान्त आज भी उतने ही महत्वपूर्ण है जितने कि २५०० साल पहले और अगर उनके उपदेशो व सिद्धान्तो को अपना लिया जाय तो सारे समाज, राष्ट्र व विश्व का भला हो जाय ।
प्रधान वक्ता श्री सुमेरुचन्द दिवाकर "न्यायतीर्थ” ने कहा कि भगवान महावीर के अपरिग्रह व स्यादवाद के सिद्धान्त को अपनाया जावे तो विश्व मे शान्ति शीघ्र सम्भव है । डा० रामचन्द्र अधिकारी ने बताया कि भगवान महावीर एक वैज्ञानिक थे ।
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अध्यक्ष श्री विजयसिंह नाहर ने भगवान् महावीर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि भगवान् महावीर की २५०० वी निर्वाण शताब्दी के उपलक्ष में जहाँ-जहाँ भगवान् का पदार्पण हुआ वहाँ रचनात्मक कार्य कर जनता को भगवान् के उपदेशो का स्मरण करवाना चाहिये ।.
भगवान महावीर का २५०० वाँ निर्वाणोत्सव
भगवान् महावीर के २५०० वॉ निर्वाण महोत्सव के सम्बन्ध में विचार-विमर्श हेतु श्री जैन सभा के तत्वावधान में कई बार सभा का आयोजन किया गया पर अभीतक कोई सक्रिय कार्यक्रम नही हुआ है। प्रयास जारी है। और शीघ्र ही प्रान्तीय स्तर पर एक कान्फ्रेंस बुलाने का प्रोग्राम है ।
राष्ट्रीय समिति के गठन को प्रायः एक वर्ष हो चुका है पर उसके द्वारा अभी तक कोई रचनात्मक कार्य । इस सन्दर्भ में पश्चिम बंगाल में राज्य स्तर पर समिति का गठन भी अभीतक नही हुआ है ।
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भगवान् महावीर निर्वाणोत्सव के लिये कई सुझाव हैं जैसे यहाँ पर जैन कालेज, छात्रावास व अस्पताल बनाये जाँय । कलकत्ता व वर्दवान विश्वविद्यालय के जैन दर्शन की चेयर की स्थापना हो । मैदान में महावीर का एक म चिह्न हो । जैन कला मूर्तियो का चित्र, प्राचीन जैन चित्र, शिल्प, हस्तलिखित जैन ग्रन्थो की प्रदर्शनी