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________________ चैत्र भगवान महावीर, प्रेरणा के खण्ड स्रोत दर्शनाचार्य साध्वी श्री चंदनाजी शुक्ल त्रयोदशीका मंगलमय दिन ! भगवान महावीर का जन्मदिन । अतः उत्सव का दिन ! दिन का अर्थ है अंधकार का मिट जाना और प्रकाश का आना । केवल बाहर ही अंधकार नही है और न बाहर ही प्रकाश है । मनुष्य के जीवन में भी अंधकार और प्रकाश है। आज से ढाई हजार वर्ष पूर्व विहार की पुण्यभूमि में भगवान महावीर का जन्म हुआ था । और कहना चाहिए विषमता विवाद और वैर के अधकार को मिटाकर समानता संवाद और क्षमा के तेज पुंज भगवान महावीर का जन्म हुआ और उन्होने उस अमृत प्रकाश को जन-जीवन में विकीर्ण किया था । प्रतिवर्ष इसी मंगलमयी भावना के साथ हम जन्म दिन मनाते हैं । इस घटना को ढाई हजार वर्ष व्यतीत हो चुके है और यह दिन समानता, मैत्री का प्रतीक बनकर जिसने हमें व्यक्तिगत और सामूहिक विकास की आज भी प्रेरणा देता है । किसी भी महापुरुष का जन्म जयन्ति मनाने का अर्थ है सद्वृत्तियो का विकाश ! हमें आज के दिन जन्मोत्सव के मूल मे निहित इस भावना को अक्षुण्ण रखने का संकल्प करना है। इस संकल्प पर ही उत्सव की सार्थकता सिद्ध होगी । यह दिन भारतीय जन मानस के लिए प्रेरणापूर्ण और प्रकाश पूर्ण बने । ढाई हजार वर्ष पूर्व भगवान महावीर ने जिस महान संदेश को प्रवाहित किया था आज उसकी अत्यन्त आवश्यकता है वर्गभेद, वर्णभेद, जातिभेद, प्रांतभेद और भाषाभेद सत्ता की दौड़, अमीरो की आवश्यकताएं, गरीवो के अभाव, दलित, पीडित और शोषित वर्ग के प्रति उपेक्षा, नए और पुराने विचारो के संघर्ष, इन प्रश्नो ने जीवन की जडे हिला दी है । ऐसे विकट समय में मैत्री करुणा और सहयोग की भावना से ही प्रश्नो का हल ढूंढा जा सकता है। भगवान महावीर ने यही कहा था—प्रश्न और नही है । समस्या कोई नहीं है । बाहर के भेद तो मिटने से रहे और अगर बाहर से समानता को प्रतिष्ठित भी किया गया और मनुष्य की भावनात्मक समानता की उपेक्षा की तो उस आरोपित समानता से मनुष्य का जीवन निष्कंटक नहीं हो सकता । आज भी हम देख रहे हैं समानता के हजार-हजार प्रयास के वाद विषमता उतनी ही अधिक है । और उस विसमता से निष्पन्न विषम समस्याएं भी उतनी ही है । आज के इस महान मंगलमय दिन पर पुनः हम गंभीरता से भगवान महावीर के उपदेश पर विचार कर हमें अपनी समाज रचना के लिए कुछ महत्वपूर्ण संकेत एवं संकल्प लेने की आवश्यकता है I 4 निजी स्वाथों से ऊपर उठकर मनुष्य जाति के व्यापक हितो की सुरक्षा के लिए प्रयास करने का मार्ग खोजे । आज सामान्य जनता नही जानती है कि उसे किधर जाना है महावीर संदेश से उदात्त मार्ग-दर्शन ले, तो हमें प्रकाश, प्रेरणा और प्रगति प्राप्त हो सकती है । __*****~~~
SR No.010268
Book TitleJain Kathao ka Sanskrutik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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