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और अपने इष्ट देव की उपासना का समापन भी वह इस प्रार्थना से करता है कि हे भगवान जिनेन्द्र देव ? देश में, राष्ट्र में, नगर में, राज्य में, सर्वत्र शान्ति रहे, समस्त जनता का सुख क्षेम हो, शासक शक्तिशाली एवं न्यायानुकूल आचरण करने वाले ईमानदार जन सेवक हों, वर्षा उचित समय पर पर्याप्त हो, समस्त प्रकार की व्याधियों का नाश हो, दुर्भिक्ष, चोरी, डाका आदि विविध अपराध क्षणमात्र के लिए भी मनुण्यो के जीवन का स्पर्श न कर पावें।
अस्तु, उपरोक्त जैन दृष्टि को अपनाने तथा जैनाचार को जीवन का अंग बना लेने से विश्व में शान्ति अवश्यमेव स्थापित हो सकती है, और वह सच्ची शान्ति होगी।
ॐ शान्ति । शान्ति ।। शान्ति ।
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SANTIKUMAR KAMALKUMAR
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