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________________ राष्ट्रीय समिति ने सिद्धान्त रूप में काउन्सिल बनाने की बात स्वीकार की है। यदि यह काउन्सिल अन्य काउन्मिलो की तरह केन्द्रीय अनुसन्धान संस्थान की स्थापना करती है और उसमें कार के अध्ययन अनुसन्धान की व्यवस्था होती है, तो एक बहुत बडे अभाव की पूर्ति हो जायेगी, किन्तु यदि यह काउन्सिल विश्वविद्यालयी में चेयर खुलवाने वाली अनुदान संस्था के रूप में ही काम करती है, तो इससे अधिक लाभ नहीं होगा। जैन विद्याओ को एक व्यापक सन्दर्भ देने के लिए, इसे जैनिज्म की अपेक्षा जैनोलाजी शब्द बहुत सोचविचार के बाद दिया गया है। इसमें मानविकी तथा विज्ञान ( ह्यूमनिटीज एण्ड साइन्सेज) से सम्बन्धित सभी विषयो को अन्तर्भक्त माना गया है। जैनोलाजिकल रिसर्च सोसाइटी उपर्युक्त प्रकार के अध्ययन-अनुसन्धान की भूमिका तैयार कर रही है। कुछ विषयो पर कार्य आरम्भ भी हआ है, किन्तु जब तक ऐसे संस्थान की नही हो जाती, जिसमें उपर्युक्त प्रकार के अध्ययन और अनुसन्धान कार्य सम्भव हो, तब तक कार्यों को आगे बढ़ाने में अनेक प्रकार की कठिनाइयाँ है । हम इस वात के लिए पूर्ण प्रयत्नशील हैं कि इस प्रकार के संस्थान की स्थापना शीघ्र हो। नयी और पुरानी पीढ़ी तथा भगवान महावीर की सभी परम्पराओ के श्रद्धय साधुओ और श्रावको को इस दिशा में आगे बढ़कर बीडा उठाना चाहिए । With best Campliments from ONKARMALL AGARWALA 12, INDIA EXCHANGE PLACE, CALCUTTA-I
SR No.010268
Book TitleJain Kathao ka Sanskrutik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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