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________________ -वर्गविहीन समाज रचना महावीर के युग में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र, इन चार वर्गों में समाज बॅटा था। समाज रचना के ये नाधार विन्दु थे । जन्म के आधार पर ऊँच-नीच का वर्ग-भेद तीव्र था । महावीर ने कहा-वह समाज कैसा, जिसमें आदमी आदमी के निकट न आ सके । वह समाज रचना केसी, जिसमें जाति और कुल को ऊँच और नीच होने का आधार बनाया जाय ? मानव मात्र की जाति एक है-मानव जाति, पशुओ की तरह उसमें गौ और अश्व का भेद नही किया जा सकता। कार्य के आधार पर समाज व्यवस्था होनी चाहिए । वर्ग-विहीन समाज रचना। २-व्यक्ति की प्रतिष्ठा ___ व्यक्ति समाज की सबसे महत्त्वपूर्ण इकाई है। महावीर के युग मे ईश्वरवादी चिन्तन के कारण व्यक्ति का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा था। ईश्वर की कृपा या अकृपा पर उसका जीवन निर्भर हो गया था। महावीर ने कहा-इस प्रकार के किसी ईश्वर को मानने की आवश्यकता नही, जो विषमतापूर्ण विश्व को बनाये और सफाई के लिए कहे कि यह तो अपने-अपने कर्मों के आधार पर बनाया गया है। महावीर ने कहा-आत्मा स्वयं परमात्मा है । वह अपना ईश्वर स्वयं है। अपने ईश्वरत्व को पहचानो और परमात्मस्वरूप को पाने का प्रयत्न करो। अपने किये का फल स्वयं भोगना होगा। इसलिए सत्कर्म करो। महावीर के इस चिन्तन ने व्यक्ति को जो आत्मबोध कराया, वह सामाजिक जीवन का मूल आधार बना। ३- यज्ञों का विरोध महावीर के युग मे यज्ञ धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक जीवन के केन्द्र विन्दु थे। यज्ञ मूलक संस्कृति ने समाज के आर्थिक जीवन को पूर्ण रूप से अस्तव्यस्त कर दिया था। इसलिए महावीर ने कहा कि ऐसे यज्ञो से क्या लाभ जो समाज को उजाडें । जीवन के लिए उपयोगी सामग्री को अग्नि मे जलाने में धर्म नही हो सकता। महावीर के इस यज्ञ विरोध से समाज के आर्थिक जीवन को बड़ा बल मिला। ४-विचार मूलक आचार समाज व्यवस्था के लिए ही महावीर ने अनेकान्त का चिन्तन और अणुव्रत की आचार संहिता दी । उनका आचार-विचार मूलक था । वह सबके लिए समान था। उसमें वर्गभेद नही था। ५-राजनीतिक जीवन महावीर ने कहा-जो अपना शासन नही कर सकता, वह दूसरो का प्रशासन क्या करेगा। युद्ध में हजारो योनाओ को जीतने की अपेक्षा अपने-आप को जीतना महत्त्वपूर्ण है। उन्होने कहा-जिस प्रकार फूलो को कष्ट पहुँचाये बिना भौरा फूलो से रस ले लेता है, उसी प्रकार अपना भागदेय ग्रहण करना चाहिए। महावीर स्वयं राजपुत्र थे। उस युग के प्रसिद्ध और प्रभावक राज्य परिवारो से उनका घनिष्ट सम्बन्ध बाज चेटक तथा श्रेणिक विम्बसार उनके निकट सम्बन्धी थे । इस सबके कारण भी राजनीतिक जीवन पर महावीर के चिन्तन का विशेष प्रभाव पडा । महावीर के चिन्तन का इन सन्दी मे अध्ययन करने पर महावीर एक बहुत बड़े समाजशास्त्री के रूप में
SR No.010268
Book TitleJain Kathao ka Sanskrutik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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