________________
जैन कथानो का साहित्यिक सौन्दर्य
१३५
अधिक आ गई उन्होने अवधि ज्ञान से जान लिया कि भगवान् तीर्थ कर का जन्म हुआ है।
(भगवान मुनिसुव्रतनाथ का जन्मोत्सव) रामचरित (भट्टारक सोमसेन विरचित रामपुराण का हिन्दी अनुवाद) पृ ७३
यह कहना उचित ही है कि साहित्य के विशद परिवेश मे जो स्वाभाविक वर्णनो एव चित्रणो की उपलब्धि हुई है, उसका बहुत कुछ श्रेय कथा साहित्य को दिया जा सकता है । भावनात्मक एव क्रियात्मक असाम्प्रदायिकता जो साहित्य मे प्राप्त है, वह इन कथानो के सहारे ही यहाँ अकुरित, पल्लवित, एव फलित हुई है। इस प्रकार हम देखते है कि जैन कथापो का साहित्यिक महत्व विविध दृष्टिकोणो से चिरन्तन तथा सार्वभौम है ।