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१२ | जैन कयामाला (राम-कथा)
किष्किवा नगरी के राजा घनोदधि ने सुना कि उसके मित्र राजा तडित्केश मुनि हो गये हैं तो उसे भी संसार से विरक्ति हुई। पुत्र किष्किधि को सिंहासन पर आरूढ़ किया और चल दिये दीक्षा लेने !
राजा धनोदधि ने भी श्रामणी दीक्षा ली, निरतिचार संयम का पालन किया और केवली हुए।
केवली घनोदधि ने शैलेशी अवस्था प्राप्त कर सिद्ध गति पाई।
अब लंका पर सुकेश और किष्किंधा नगरी पर राजा किष्किधि राज्य करने लगे।
-त्रिषष्टि शलाका० ७११