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३७४ | जैन कथामाला (राम-कथा) इसका पति है। यह कहकर राजा द्रोणमेघ ने एक हजार कन्याओं के साथ विशल्या को भेज दिया। . . भामण्डल आदि ने भरत को तो अयोध्या में उतारा और वे सव... लंका की ओर चल दिये । दूर से आते हुए विमान के तीव्र प्रकाश से लोगों को भ्रम हो गया कि सूर्य की पहली किरण गगन-मण्डल में : चमक रही है । सुभटों के मुख-मण्डल म्लान हो गये। - कुछ ही देर में जब विशल्या सहित भामण्डल, हनुमान, अंगद विमान से उतरे तो लोगों को सन्तोष हुआ। " - एक पल का भी विलम्ब किये विना सभी लक्ष्मण के पास पहुंचे।
पंच परमेष्ठी का ध्यान करके विशल्या ने लक्ष्मणजी का स्पर्श . किया। विशल्या का स्पर्श पाते ही महाशक्ति अमोघविजया लक्ष्मण : के शरीर से निकलकर जाने लगी। तभी वीर हनुमान ने उछलकर.... उस शक्ति को पकड़ लिया। शक्ति वोली
-हनुमान ! मुझे क्यों पकड़ा है ?
-तुमने हमारे स्वामी के अनुज को मूच्छित किया था। मैं तुम्हें नहीं जाने दूंगा। ... अमोघविजया की खिलखिलाहट चारों ओर गूंज गयी । कहने लगी- .
-विशल्या का सान्निध्य पाकर तुम भी मुझे रोकने का दम :' . भरने लगे । रहा लक्ष्मण को मूच्छित करने का प्रश्न तो उस समय तो ..मैं दासी थी रावण की। उसकी आज्ञा मानना मेरा कर्तव्य था। इसमें . मेरा क्या दोष ? मुझे इनके शरीर में प्रवेश करना ही पड़ा।
तो अव क्यों जा रही हो? :. -मैं विशल्या के पूर्वभव के तप-तेज को सह सकने में असमर्थ