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लक्ष्मण पर शक्ति प्रहार ] .३६५ -हाय मैं कैसी मन्दभागिनी हूँ। मेरे ही कारण मेरे देवर और स्वामी दोनों संकट में पड़ गये हैं।
विशेष-(१) वाल्मीकि रामायण में इन्द्रजित द्वारा लक्ष्मण को शक्ति लगने का उल्लेख नहीं है केवल इतना ही बताया है कि ब्रह्मास्त्र द्वारा इन्द्रजित ने राम-लक्ष्मण सहित वानर सेना को मूच्छित कर दिया था। हनुमानजी ने औषधि युक्त पहाड़ लाकर सबको सचेत और स्वस्थ कर दिया।
(युद्धकाण्ड) हाँ रावण के शक्ति प्रयोग से लक्ष्मण के अचेत हो जाने का अवश्य + वर्णन है। यह भी उल्लेख है कि सुपेण की औपधि से उनकी मूर्जा दूर हुई । यहाँ सुपेण रावण की लंका का वैद्य नहीं, अपितु वरुण देव का पुत्र वानर सुषेण है।
संक्षिप्त घटना इस प्रकार है :
राम और रावण में युद्ध हो रहा था । श्रीराम रावण के दिव्यास्त्रों को काटते जा रहे थे। इसी बीच विभीषण ने रावण के रथ में जुते घोड़ों को गदा प्रहार से मार डाला । रावण रथ से कूद पड़ा और विभीषण को मारने के लिए एक विशाल शक्ति हाथ में ली। इस शक्ति का वेग काल भी नहीं रोक सकता था। इतने में विभीषण को बचाने के लिए लक्ष्मण बीच में आ गये। रावण ने मय-दानव द्वारा दी गई वह शक्ति चला दी । शक्ति लगते ही लक्ष्मण अचेत हो गये ।।
इस पर राम क्रोध से आग-बबूला हो उठे और अपने तीव्र शस्त्र प्रहारों से रावण को विह्वल कर दिया। वह भयभीत होकर लंका को भाग गया।
लक्ष्मण को सचेत करने हेतु महाबुद्धिमान वानर सुषेण ने हनुमानजी को महोदय पर्वत से विशल्यकरणी (शरीर में धंसे हुए वाण आदि को निकालकर घाव भरने और पीड़ा दूर करने वाली), सावर्ण्यकरणी (शरीर में पहले की सी रंगत लाने वाली), संजीवकरणी (मूळ दूर करके