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________________ १७) गृत्समद नामक एक ऋषि दण्डकारण्य में रहते थे। उनकी स्त्री की इच्छा थी कि “मेरे लक्ष्मीस्वरूपा कन्या: हो ।' ऋषि इसी अनुष्ठान में लगे थे। वे प्रतिदिन अभिमन्त्रित दूध एक घड़े में डालते जाते । एक दिन अचानक ही रावण. वहाँ आ गया और उसने ऋषि के शरीर में तीर चुभो-चुभो कर वह दूध वाला घड़ा उनके रक्त से पूरा भर लिया | रावण ने वह घड़ा लाकर मन्दोदरी को दिया और बोला-'ध्यान रखना: यह विषकुम्भ है ।' मन्दोदरी उन दिनों रावण से अप्रसन्न थी। उसने सोचा 'मेरा पति अन्य स्त्रियों के साथ रमण करता है अतः मेरा मर जाना ही श्रेयस्कर है।' उसने वह रक्त मिश्रित दूध पी लिया। वह मरी तो नहीं, गर्भवती अवश्य हो गयी। पति के सहयोग विना सगर्भा हो जाने से वह चिन्तित हुई। प्रसवकाल में वह विमान द्वारा कुरुक्षेत्र में चली गई और वहाँ उसने सीता को जन्म दिया और जन्मते ही उसे जमीन में गाढ़कर लंका लौट आई। यही वालिका हल जोतते समय जनक राजा को प्राप्त हुई और उन्होंने अपनी पुत्री मानकर पाला-पोसा। अद्भुत रामायण में सीता को शक्ति का अवतार माना गया है। राम . उसी की शक्ति के आधार से रावण को मार सके । इसके पश्चात एक सहल - मुख और दो सहस्र भुजा वाले राक्षसः की घटना भी दी गई है.। इसे राम की... बजाय सीता ने मारा । . . . इसके अतिरिक्त अन्य रामायणों तथा लोक-परम्परा में 'अहिरावण का उपाख्यान, मेघनाद की पत्नी सती सुलोचना का : उपाख्यान आदि अनेक घटनाएँ. श्रीराम के कथानक में जुड़ गई हैं। . ..... र वैदिक परम्परा की विभिन्न रामायणों की घटना-विविधता की तो वात ' ही अलग है किन्तु एक रामायण के घटना क्रम पर भी अनेक प्रश्न उठाये जा सकते हैं । सर्वमान्य ग्रन्थ वाल्मीकि रामायण, भी इसका अपवाद नहीं है। १. उत्स एक : धारा अनेक-- मुनिश्री महेन्द्रकुमारजी प्रथम, पृष्ठ ५५-५६ २. कादम्बिनी (मानस चतुःशती अंक) १६७२.........
SR No.010267
Book TitleJain Kathamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1977
Total Pages557
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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