________________
६४ | जैन कथामाला ( राम- कया)
- लंकेश यह मिथ्या अभिनिवेश का परिणाम है । पर्वत ने अपनी मिथ्या बात को सत्य प्रमाणित करने के लिए इन हिंसक यज्ञों का प्रवर्तन किया और उसका सहयोगी बना राजा वसु ।
-
राक्षसपति को इतनी सी बात से सन्तोप न हुआ। वह बोला- नारदजी ! पूरी वात स्पष्ट रूप से वताइए । - दशमुख ! इस कहानी का मेरे जीवन से भी अभिन्न सम्बन्ध है । मैं भी इनका एक कारण रहा हूँ, चाहे विरोधी रूप में ही सही ।
**
- त्रिषष्टि शलाका ७२