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अजैनों को जैन दीक्षा
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जैनधर्म में दीक्षित किया था। और वे इन नव दीक्षित जैनों के यहां आहार करते थे । ( इन्डियन सेकृ० आफ दी जैन्स पृ० ४ फुट नोट)
(८) जब यूनानवासी भारत के सीमा प्रान्त पर बस गये थे तब उनमें से अनेकों को जैनधर्म में दीक्षित किया गया था । ( भगवान महावीर पृ० २४३)
(e) लोहाचार्य ने अगरोहे के जैनों को जैन बनाकर सबका परस्पर खान पान एक करा दिया था। (अग्रवाल इतिहास )
(१०) जिनसेनाचार्य के उपदेश से पर गांव राजपूतों के और २ सुनारों के जैनधर्म में दीक्षित किये गये । उन्हीं से ८४ गोत्र खण्डेलवालोंके हुये । क्षत्रिय और सुनार जैन खंडेल वालों में रोटी बेटी व्यवहार चालू हो गया और अभी भी है। उन्हीं ग्रामों पर से ८४ गोत्र वने थे । (विश्वकोप श्र० ५ पृ० ७१८) (११) खंडेलवालों के पूर्वजों ने जैन बीजावर्गियों को शुद्ध कर जैन बनाया और उनके साथ रोटी बेटी व्यवहार चालू कर दिया।
(१२) जैन समाज में प्रसिद्ध कवि जिनवख्श नव दीक्षित जैन थे। वे जैनधर्म के पक्के श्रद्धानी थे। इनके पद प्रसिद्ध हैं । और वे पद जैन मन्दिरों में शास्त्र सभा में भक्ति पूर्वक गाये जाते हैं । जैन विद्वानों ने मुसलमान जिनवख्श को श्रावकधर्म की दीक्षा दी थी। और साथ जलपान तक अच्छे २ जैन करते थे ।
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(१३) सन् १८७६ तक जैनों को शुद्ध करके जैन बनाने की प्रथा चालू थी। यह बात बुल्हर सा० ने अपनी 'दी इण्डियन सेक आफ दी जैन्स' पुस्तक के पृ० ३ पर लिखी है । उनने लिखा है कि जैनधर्म का उपदेश आर्य अनार्य पशु पक्षी सबके लिये हुआ था । और इस नियम के अनुसार आज भी नीच जाति के
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