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जैनधर्म की उदारता
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प्रकट विवाह किया (७०)
१० - मांसभक्षी की मुनि दीक्षा - सुधर्मा राजा को मांस भक्षण का शौक था। एक दिन मुनि चित्ररथ के उपदेश से मांस त्याग कर तीनसौ राजाओं के साथ मुनि हो गया (हरि० ३३-१५२) ११ - कुमारी कन्या की सन्तान - राजा पाण्डु ने कुन्ती से कुमारी अवस्था में ही संभोग किया, जिससे कर्ण उत्पन्न हुये । "पाण्डोः कुन्त्यां समुत्पन्नः कर्णः कन्याप्रसंगतः " । ॥ हरि० ४५-३७ ॥ और फिर बाद में उसी से विवाह हुआ, उसी से विवाह हुआ, जिससे युधिष्ठिर अर्जुन और भीम उत्पन्न होकर मोक्ष गये ।
१२ - चाण्डाल का उद्धार – एक चाण्डाल जैनधर्म को उपदेश सुनकर संसार से विरक्त हो गया और दीनता को छोड़कर चारों प्रकार के आहारों का परित्याग करके व्रती हो गया। वही मरकर नन्दीश्वर द्वीप में देव हुआ । यथा
निर्वेदी दीनतां त्यक्ता त्यक्ताहारचतुर्विधं मासेन श्वपचो मृत्वा भूत्वा नन्दीश्वरोऽमरः ॥ - ।। हरि० ४३-१५५ । इस प्रकार एक चाण्डाल अपनी दीनता को. ( कि मैं नीच हूँ) छोड़ कर व्रती बन जाता है और देव होता है । ऐसी पतितोद्धारक उदारता और कहां मिलेगी ?
१३ - शिकारी मुनि होगया— जंगल में शिकार खेलता हुआ और मृग का वध करके आया हुआ एक राजा मुनिराज के उपदेश से खून भरे हाथों को धोकर तुरन्त मुनि हो जाता है ।
१४ - भील के श्रावक व्रत - महावीर स्वामी का जीव जब भी था तब मुनिराज के उपदेश से श्रावक के व्रत लेलिये थे और