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सम्मतियों
Parmeshtid asji has proved these things in his small book with many illustrations and quotations from the Jain Granthas. The book will do.good.
V. M. SHAK M. A. .. . .. Professor of Ardhamagadhi
__M. T. B. College, Sura मैंने पंडित परमेष्ठीदामजी की धर्म पुस्तक जैनधर्म की उदा. रता को निहायत खुशी और इतमिनान के साथ पढ़ा काबिल रचयिता ने जैनधर्म के शरीफाना सिद्धान्तों का निहायत कावलियत के साथ उल्लेख किया है जिससे साफ तौर पर जाहिर होता । है कि जैनधर्म विश्वव्यापी धर्म बनने का हकदार है। मनुष्य मात्र के जीवन के जो सिद्धान्त जैन शास्त्रों में रखे गये हैं वह निहायत ही मुद्दलिल ( सप्रमाण ) और मुन्सफाना हैं किसी भी परिवार को कोई नस्ली इम्तियाज नहीं हो गया है क्षत्री ब्राह्मण वैश्य और शूद्र सव के अख्तियारात बराबर हैं और धर्मकार्य में सबका समान हक है । जैनियों में अछूत का कोई प्रश्न नहीं रखा गया है। __पंडितजी ने इन सारी बातों को इस छोटी सी पुस्तक में निहायत साफ तौर पर और प्रमाण के साथ साबित किया है
और बहुत से उदाहरण देकर समझाया है इस पुस्तक के छपने से जैन धर्म पर एफ नई रोशनी पड़ी है और जनता को बहुत कुछ लाभ पहुंचेगा।
इसके अतिरिक्त श्री रूपचन्दजी गार्गीय पानीपत, जैन जाति भूपण ला० ज्वालाप्रसादजी रईस महेन्द्रगढ़, श्री. राजमलजी जैन