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चौथा अंक
दंडाधिकारी : (स्त्री से) चलो, बाहर चलो।
स्त्री : (जाते हुए) महाराज और महारानी की जय ! दंडाधिकारी : (सैनिक ढंग से) महाराज की जय ! महारानी की जय ! (महावीर वर्धमान और महारानी यशोदा अभय मुद्रा में
हाथ उठाते हैं।) वर्धमान : यह मेरी मुक्ति का मंगलाचरण है !
[परदा गिरता है।
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