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कथा-सूत्र
संबोधि प्राप्त होने के पश्चात् तीस वर्ष तक उन्होंने अपने ज्ञान का प्रचार और प्रसार किया । भगवान् पार्श्वनाथ ने अपने चातुर्याम धर्म में अहिंसा, सत्य, अस्तेय और अपरिग्रह इन चार व्रतों का आख्यान किया था। महावीर वर्धमान ने इन चार आख्यानों में ब्रह्मचर्य जोड़ कर पाँच व्रतों का आख्यान किया और कामदेव के पाँच बाणों को कुंठित कर दिया ।
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