________________
पेड़ों की फुनगी पर चिडिया
गीत मनोहर गाती। मलियानिल की पुरवाई-सी
हवा गध ले आती ।।
नील गगन मे खुशियाँ छाई
किरण-किरण थी पुलकित । पृथ्वी के कण-कण पर मानो
नयी प्रभा आलोकित ।।
सभी तरफ आनन्द-लहर थी
वडी सुखद लहराई । जाने कैसी घडी सुवासित
वसुधा पर थी आई।
लगा कि सबने मिलकर की है
स्वागत की तैयारी। घर-घर मे लगता था जैसे
उत्सव होता भारी ।।
42 / जय महावीर