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गर्भवती वह हर क्षण प्रभु के
भावो मे तल्लीन । प्रतिक्षण पूजा करती थी नित
भर कर भाव नवीन ।।
दूत बुलाकर कहा इन्द्र ने
जाकर आज तुरन्त । दोनो गर्भो का परिवर्तन
कर दो प्यारे भत ।।
हरी णैगमेषी ने आकर
देवानन्दा पास। गर्भ लिया-फिर त्रिशला के घर
आये वे सोल्लास ।।
गर्भ-परावर्तन का सारा
काम हुआ जब शेष। स्वय इन्द्र से बोला-पूरा
हुआ सभी आदेश ॥
जय महावीर / 27