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पूर्ण हुई जब सारी विधियाँ
चिता लहक लहराई। देवो ने फिर उनकी महिमा
सवको वहाँ सुनाई॥ xxx
तीर्थकर के ज्येष्ठ शिष्य थे
गौतम परम तपस्वी। ज्ञान - साधना - पुष्ट हृदय से
दृढ चैतन्य मनस्वी ।।
अडिग स्नेह था प्रभु पर इनको
थे अखण्ड विश्वासी। सदा श्रवण करते थे जैसे
___ मुग्ध चातकी प्यासी॥
यही स्नेह तो परम सिद्धि मे
विघ्न स्वरूप बना था। उनकी निर्मल आत्मोन्नति मे
बाधा बना तना था ।