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इन्द्रलोक मे सभा जुटाकर
तीर्थकर को लाये। पहले प्रवचन उसी सभा मे
प्रभु ने उन्हे सुनाये॥
चलकर पावन पावापुर मे
तीर्थकर है आते। देव यहाँ पर सभा दूसरी
आकर तुरत लगाते।
आद्य धर्म का बोध दिया था
महाबीर ने उग धण। पुलकिन सुनवार वहाँ हुआ या
देवो का समयमरण ।।
पावापुर मे लगा हा पा
वित जन का मेला। भुति-से ब्राह्मण अपना
दिखा रहे थे खेला ॥