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सभी शुभाशुभ कर्मों का क्षय
तप से स्वय किया था। सयम से तप-ध्यान प्रकाशित
केवल ज्ञान लिया था।
जो उपसर्ग मिले थे पथ मे
जो भी सकट आये। धैर्य - तपस्या - समतापूर्वक
सवको सरल बनाये ।
दमित किया था राग-क्रोध-मद
लोभ हृदय का सारा। वीतराग नव ज्योति भुवन के
भव का पुण्य - सहारा॥
100/जय महावीर