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श्री शांतिनाथनो रास खंम वीनो. - तिहां धावियों । मुणो नवि ॥ सार्थवाह मुदत्त हो ॥ प्रवहण लायें
घाणां लीयां ॥ सु ॥ सोवनहीप पद्धत हो ॥ १ ॥ कर्म अजवगति बांध्यु विविध मति, उदय यावे यति धाकलं ॥ ४० ॥ कर्म कोणे न कलाय हो ॥ए प्रांकणी ॥ बंदर श्राव्यं जाणीने ॥सु०॥ जल धान काज हो । लोक सचे तिहां कतरो ॥ सु ॥ जलसंचय कगे आज दो ॥ क० ॥ २ ॥ वदु नर साधे थावीयो । सु॥सार्थवाद सुजाण हो । नर जल जीवा नीसरया । सु० ॥ मलियो धनद गुणवाण हो ॥ क ॥ ३ ॥ जलस्त्रा नक तेणें वावडयुं ॥ सु० ॥ मलियां माणस खंद हो ॥ जल जीवन जग मां बहुं ॥ सु० ॥ जल विण श्यो आनंद हो । क.० ॥ ४ ॥ यक्तं ॥ एथि व्यां त्रीणि रत्नानि, जलमनं सुनापितम् ॥ मूढेः पापाणखमेट, ग्नसंज्ञा विधीयते ॥ १ ॥ पूर्वढाल ॥ सार्थवाह त्यां धावियो ॥ सु० ॥ धन कयो प्रणाम हो ॥ श्रालिंगी बेहू मच्या ॥ नु० ॥ पून' कुगन नेणे ताम हो ॥ कर ॥ ॥ ५ ॥ कंचन रयण ए कोण तणां ॥ मु० ॥ धन कही सवि बात हो । मुक नबरें पहोंचाइजो ॥ सु० ॥ दरख्यो निसुग्गा धन दात हो । क ॥ ६ ॥ रयण सोवननी इटका ॥ सु० ॥ गणी ताप तेगि वार हो ॥ प्रवदणमांहे लेइ धरी । सु० ॥ धन अनरय करनार हो ॥20॥ ॥ चित्त चन्यु ते शेगनु ।। सु ॥धन मेनूं जगमांदि हो ।। एक हणे एह माहीं । सु० ॥ नहिं कोई बीजी यांहि हो । क. ॥ ७ ॥ शान करे सेवक जणी ॥ सु० ॥ नाखो ए कृपमजार दो ॥ प्रवद्रणमा प्रावो वही । सु ॥ धिक् धिक् लोनविकार हो । क. If yा लोन न मुं व को नहिं ॥ सु० ॥ लोन बडो जगमूल हो । लोनय दुई नही ।। सु ॥ नवनवमां मन्यो भुल हो । काय ॥10॥ नवरः धनः जणी करे । स० ॥ नुं जल ताणी श्राप हो । दानिश नुकत्याच दो ॥ १० ॥पत्रमचो काख काप हो।। 2011 ?? ॥ सन्याने र गारदो । सु० ॥ धनद भाव्यो तत्काल हो ॥ पाप करतां पापया 150 निज न लाजे चंमाल हो । क॥ १२ ॥ पन्त ने याचियो । म प्रचार अविनीन । मरि जीने नान्चीयो ॥ शु मनीशीत
॥१३॥ हिमामयानी सापांवार - ना मानोर ती ॥ निलंगनि गरारमा ।
समाजमा