________________ श्री शांतिनायनो रास खंम छो. 441 था वाचकपद, माहागुदि पंचमी दीधुं रे // विजयदान सूरीश्वर उत्तम, चिंतित कारिज की, रे // ज० // 25 // सोल दाहोत्तरें शीरोहीमां, आ चारिज पद पायुं रे // सोनागी महिमानिधि महोटा, जिनशासन दीपायु रे॥ // 26 // समिति गुप्ति सूधी गुरु धारे, समतारस नंमारो रे // जेणें ए गुरुजी नयणें निरख्या, धन्य तेहनो अवतारो रे // न // 27 // श्रीहीरविजयगुरु पाट पटोधर, साह कमा कुलचंदो रे॥मात कोमा कुखें उप्पन्ना, श्रीविजयसेनसरि वंदो रे // ज० // 27 // शाह मनामांहे वाद करीने, जिनमत स्थिरता स्थापी रे // बिरुद सवाइ जगजुरु पायो, कीर्ति लता आरोपी रे // न // ए // तास पाट उदयाचल उदयो, शुक्ष्प्ररू पणकारी रे // श्री राजसागरसूरि जग जयवंता, नवियणने उपकारी रे // न० // 30 // देवीदास अंबर कुलदिनमणि, मात कोडिमदे जायो रे॥ मनमोहन सोनागी सद्गुरु, महिमानिधि मुनिरायो रे // न // 31 // संवत सोल बाशीया वरसें, आचारिज पद पायो रे // श्रीराजसागरसूरि नाम जयंकर, सागर गह दीपायो रे // न० // 32 // शाह शिरोमणि सहसकिरणसुत, शांतिदास सुजाणे रे // जस उपदेशे वहु धन खरच्यु, लख अग्यार प्रमाणे रे // न० // 33 // कीर्त्तिकमला श्रीगुरुजीनी, जग महि घणुं पसरी रे // नवियण मनमांहे अति हर्षे, जस गुणमाला समरी रे // ज० // 34 // तेह गुरुपाट पटोधर प्रगट्या, श्रीक्षिसागर सारदा रे // पंचाचार विचारे चतुरा,मोहनवनीकंदा रे // नम्॥३५॥ रूप अनोपम अंगें विराजे, गुन लक्षण अति रूडां रे // वतु नर नारी - जेणे प्रतिवोध्यां, वय न नांखे कूडा रे // न० // 36 // गुणनिधि तेह ने पाट विराजे. श्रीलमीसागर सरि बाजे रे॥ कीर्ति जेहनी जगमोहे गाजे. नवि मन संशय नांजे रे ॥न // 3 // संप्रतिमानविजय ते गुरुजी,सोनागी शरदारा रे // वैरागी वहाला नविजनने, शमतारस मारा रे॥ // 27 // तेह तवं राज्ये ए रचियो, शांतिप्रचनो रासो रे // नविय नाव घरिने निसुगो.लहियें सुरक विलासो रे // ज० // 35 // 2275 // ॥ढाल // // राग धन्याश्री // श्रीगुरु हीरसूरीश्वर शिप्या // ए आंकणी // कल्या सावजय उवद्याय पुरंदर, दिन दिन चढत जगीशा / / श्रीगु० // 1 //